
रायगढ़ में दो साल से ठप पीएमजीएसवाय, ग्रामीण सड़कें बदहाल!
ग्रामीण जन रायगढ़ जिले में शहरी और ग्रामीण विकास के बीच असमानता साफ नजर आ रही है। जहां एक ओर शहरों में फोरलेन सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है और मुख्य सड़कों को चकाचक बनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण सड़कों के विकास पर पूरी तरह से ब्रेक लग गया है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY), जिसके तहत गांवों को मुख्य सड़कों से जोड़ा जाता है, बीते डेढ़ साल से जिले में ठप पड़ी है।
ग्रामीण सड़कों की उपेक्षा, दो साल में एक भी सड़क नहीं बनी
गांवों तक डामर रोड का जाल बिछाने के लिए शुरू की गई पीएमजीएसवाय के तहत रायगढ़ जिले में वर्ष 2021-22 में 143 किमी और 2022-23 में 82 किमी सड़कें बनी थीं। लेकिन 2023-24 और 2024-25 (31 जनवरी 2025 तक) के दौरान एक भी किमी सड़क नहीं बनी। यह चौंकाने वाला आंकड़ा विधानसभा में पेश किया गया, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सवाल पर उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने यह जानकारी दी।
67 करोड़ खर्च हुए, फिर भी नई सड़कें नहीं बनीं
हर साल पीएमजीएसवाय के तहत नए सड़क निर्माण के प्रस्ताव भेजे जाते हैं, लेकिन 2023-24 और 2024-25 में ग्रामीण क्षेत्रों की नई सड़कों को मंजूरी ही नहीं मिली। इससे पहले 2021-22 और 2022-23 में कुल 67 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। हालांकि, 2023-24 में सिर्फ 4 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया, वह भी पुरानी सड़कों के लिए।
ग्रामीणों को हो रही परेशानी
गांवों को जोड़ने वाली सड़कों की हालत लगातार खराब हो रही है। पुराने मार्गों में गड्ढे बढ़ते जा रहे हैं, और नई सड़कें न बनने से ग्रामीणों को मुख्य सड़कों तक पहुंचने में दिक्कत हो रही है। बरसात के दिनों में स्थिति और भी गंभीर हो जाती है, जब कीचड़ और पानी भरे रास्ते आवागमन को कठिन बना देते हैं।
ग्रामीण विकास में असमानता क्यों?
यह सवाल उठना लाजमी है कि जब शहरों में सड़कें तेजी से बन रही हैं, तो ग्रामीण क्षेत्रों में पीएमजीएसवाय जैसी महत्वपूर्ण योजना ठप क्यों है? क्या ग्रामीण जनता की मूलभूत जरूरतें सरकार की प्राथमिकता में नहीं हैं?
सरकार और प्रशासन को इस दिशा में ध्यान देने की जरूरत है ताकि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच संतुलित विकास हो सके। अगर यह असमानता जारी रही, तो गांवों की उपेक्षा से न केवल स्थानीय निवासियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, बल्कि समग्र विकास भी प्रभावित होगा।